वर्धा में तड़स के हाथ में तीसरी बार ‘कमल’
वर्धा : भाजपा की केंद्रीय चुनावस समिति ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची में वर्धा लोकसभा सीट से एक मर्तबा फिर वरिष्ठ नेता रामदास तड्स को मौका दिया है. तेली समुदाय बहुल वर्धा लोकसभा सीट से रामदास तड़स तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी का ‘कमल’ चुनाव चिन्ह लेकर मैदान में उतरेंगे. वे वर्धा से लोकसभा का वर्ष 2014 और 2019 में भी भाजपा की टिकट पर सफलतापूर्वक चुनाव लड़ चुके हैं. सांसद तइस को टिकट मिलने से तेली समाज में भी उत्साह का माहौल है. सन् 2019 के चुनाव में सांसद तड़स ने 5 लाख 78 हजार 364 वोट हासिल किए थे. तड़स ने उनकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार चारुलता टोकस को पौने दो लाख वोटों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी. दिल्ली से अपनी राजनीति करनेवाली चारुलता टोकस को पराजित करना भाजपा उम्मीदवार तड़स के लिए काफी आसान साबित हुआ था. 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सागर मेघे को भी आसानी से शिकस्त दी थी. मजेदार बात यह है कि रामदास तइस किसी जमाने में मेघे परिवार के काफी करीबी हुआ करते थे. इस बार राज्य में गत एक वर्ष के दौरान प्रमुख राजनीतिक दलों में हुई बगावत के बाद वर्धा लोकसभा सीट महाआघाड़ी में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) तथा राकांपा (शरद पवार) गुट में से किसे मिलेगी, इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है. हालांकि जिले में चर्चा है कि इस बार कांग्रेस ने वर्धा संसदीय क्षेत्र अपने सहयोगी दल राकांपा (शरद पवार) के लिए छोड़ा है. जानकारों का दावा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस की ओर से यहां कोई लड़ने का इच्छुक नहीं है. ऐसे में चर्चाओं के अनुसार शरद पवार से आदेश मिलने के बाद पूर्व विधायक हर्षवर्धन देशमुख वर्धा जिले में स्थानीय नेताओं के संपर्क में है. हर्षवर्धन देशमुख अमरावती जिले के मोर्शी से तीन बार विधायक रह चुके हैं. उनकी लगातार बैठकें चल रही है. लोगों का कहना है कि हर्षवर्धन देशमुख के नाम पर अब केवल महाविकास आघाड़ी की मुहर लगनी बाकी है. लेकिन सहकार नेता सुरेश देशमुख के पुत्र समीर देशमुख भी राकांपा से लड़ने के इच्छुक बताए जाते हैं. हैं. लेकिन ले समीर का अब तक का राजनीतिक करियर कुछ खास नहीं रहा है.