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Thursday, November 21, 2024

सन 1990 तक विदर्भ था कांग्रेस का गढ़

Wardha |

विदर्भ के तत्कालीन कददावर नेता

वर्धा : आजादी के बाद से 1990 के दशक तक विदर्भ की लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का एकछत्र राज था. लेकिन 1998 के बाद से कांग्रेस के विदर्भ गढ पर अन्य राजनीतिक दलों का कब्जा होता चला गया. उस समय विदर्भ में कांग्रेस के पास ऐसे दमदार उम्मीदवार थे. जिन्होंने लगातार तीन तीन बार संसद में कांग्रेस की आवाज बुलंद की.
विदर्भ में वर्धा ही नहीं बल्कि यवतमाल , अमरावती, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा में भी कांग्रेस की तूती बोलती थी. 1957 से लेकर 1967 तक तीन बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनयन बजाज सांसद रहे. कांग्रेस नेता वसंत साठे ने 1980 से 1989 तक तीन बार वर्धा से और 1977 में अकोला से भी सांसद रहे. कांग्रेस के दिग्गज नेता दत्ता मेघे ने कांग्रेस की बागडोर संभाली मघे ने 1991 में नागपुर, 1996 में रामटेक और 1998 में वर्धा के सांसद रहे. नागपुर के कांग्रेस नेता रामचंद्र हजरणवीस ने 1957, 1962 अैर 1967 में भंडारा , चिमुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. बालकृष्ण वासनिक ने कांग्रेस की सीट पर भंडारा, गोंदिया, बुलढाना से 1957 से 1962 और 1980 में तीन बार सांसद बने. के.जी. देशमुख ने 1957, 1967, 1971 में रामटेक और अमरावती से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया. यवतमाल से कांग्रेस नेता उत्तमराव पाटिल ने लगातार 5 बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया.1980, 1984, 1989, 1991, और 1991 में वे सांसद रहे. चंद्रपुर के कांग्रेस नेता शांताराम पोटदुखे ने चंद्रपुर से 1980, 1984, 1989 और 1991 में संसदीय सीट जीती. विलास मुत्तेमवार ने कांग्रेस से 1980, 1984, 1991,1998 में चिमुर और नागपुर का प्रतिनिधित्व किया. चिमूर से जोगेंद्र कवाडे ने भी एक बार कांग्रेस के समर्थन से लोकसभा पहुंचने में सफलता हासिल की थी

संपादक

फिरोज़ खान हबिब खान

BA in mass communication and journalism Mo. 9730614079

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