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Thursday, November 21, 2024

करवा चौथ 2024 में कब ? जानें डेट, पूजा मुहूर्त, चांद निकलने का समय

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ को सुहागों वाली रात कहा जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ के रूप में मनाए जाने की परंपरा है. स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, सुहाग की सलामति के लिए निर्जला व्रत करती हैं.

सुबह सरगी खाकर इस व्रत की शुरुआत होती है सूर्योदय से शुरू हुआ करवा चौथ व्रत, रात में चंद्रमा की पूजा के बाद पति के हाथों पानी पीकर खत्म होता है. करवा चौथ गणपति जी, करवा माता को समर्पित है. इस दिन स्त्रियों को चांद के दीदार का बेसब्री से रहता है. जानें साल 2024 में करवा की डेट, पूजा मुहूर्त, चांद निकलने का समय और महत्वपूर्ण बातें.

करवा चौथ 2024 डेट (Karwa Chauth 2024 Date)

करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024, रविवार को है. करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन. करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Muhurat)

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू – 20 अक्टूबर 2024, सुबह 06.46

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त – 21 अक्टूबर 2024, सुबह 04.16

  • करवा चौथ पूजा समय – शाम 05.46 – रात 07.09, (अवधि 1 घंटा 16 मिनट)
  • करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06.25 – रात 07.54, (अवधि 13 घंटे 29 मिनट)

करवा चौथ 2024 चंद्रोदय समय (Karwa Chauth 2024 Moon Time)

20 अक्टूबर 2024 को रात 07.54 पर चांद निकलेगा. हालांकि शहर के अनुसार चंद्रोदय समय अलग हो सकता है. चांद की पूजा के बिना ये व्रत अधूरा है.

करवा चौथ महत्व (Karwa Chauth Significance)

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम, सम्मान और त्याग की चेतना का प्रतीक है. ये व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां लेकर आता है. करवाचौथ की सबसे पहले शुरुआत सावित्री की पतिव्रता धर्म से हुई. चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं. मान्यता है कि देवी पार्वती ने भी ये व्रत किया था. वहीं दूसरी मान्यता है कि करवा चौथ व्रत महाभारत काल में द्रोपदी ने भी किया था. जब पांडवों पर संकट के बादल मंडराए थे तो श्रीकृष्ण के कहे अनुसार द्रोपदी ने करवा चौथ का व्रत पूजन किया था. जिसके प्रभाव से पांडवों पर आई विपदा टल गई थी. मान्यता है जो सुहागिन स्त्री इस दिन अन्न-जल का त्याग कर व्रत रखती हैं उसके सुहाग पर कभी कोई आंच नहीं आती.

करवा चौथ पूजा सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)

  • टोटीवाला करवा (मिट्‌टी या तांबे का ढक्कन वाला करवा)
  • कलश,रोली, कुमकुम, मौली, अक्षत, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई
  • पान, व्रत कथा की पुस्तक, दही, शक्कर का बूरा,चंदन
  • देसी घी, इत्र, नारियल, जनेऊ जोड़ा, अबीर
  • गुलाल, शहद, दक्षिणा, कच्चा दूध.
  • छलनी, कपूर, गेहूं, बाती, करवा माता की तस्वीर
  • दीपक, अगरबत्ती, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी.
  • सरगी – 16 श्रृंगार की सभी समाग्री, ड्रायफ्रूट्स, फल, मिष्ठान
  • 16 श्रृंगार का सामान –  कुमकुम, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, काजल, बिछुआ,काली पोत

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja vidhi)

  • करवा चौथ वाले दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि कर सास या जेठानी के जरिए दी सरगी का सेवन करें.
  • फिर निर्जल व्रत का संकल्प लें. दिनभर में पूजा की पूरी तैयारी कर लें.
  • शाम को सोलह श्रृंगार कर शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से शिव परिवार और करवा माता की पूजा करें फिर व्रत की कथा सुनें.
  • चंद्रोदय के समय उत्तर पश्चिम दिशा में मुख कर चंद्रमा की पूजा करें. करवे से अर्घ्य दें और फिर छलनी से चांद को देखने के बाद पति को देखें.
  • अब दूसरे करवे से पहले पति को पानी पिलाएं और फिर पति के हाथ से उसी करवे से जल पीएं. इस तरह करवा चौथ की पूजा पूर्ण होती है.

करवा चौथ पूजा मंत्र (Karwa Chauth Puja Mantra)

  • ऊँ एकदंताय नम:
  • ऊँ गौर्ये नम:,
  • ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:
  •  ऊँ नम: शिवाय
  •  दान मंत्र – करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा, ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः

करवा चौथ के दिन क्या करें, क्या न करें

  • करवा चौथ सुहाग पर्व है इस दिन विवाहिता को नीले, भूरे, और काले रंग के वस्त्र, चूड़ी नहीं पहननी चाहिए,ये अशुभता का प्रतीक माना जाता है. इस दिन व्रती को लाल रंग के कपड़े पहनना चाहिए.
  • व्रती को दोपहर में सोना नहीं चाहिए. पति, घर के बुजुर्ग या किसी भी स्त्री के लिए बुरे विचार या उन्हें अपशब्द न करें.
  • इस दिन शादीशुदा महिलाएं भूल से नुकीली वस्तु जैसे सुई, कैंची आदि का इस्तेमाल न करें.
  • करवा चौथ के दिन सुहागिनें मेहंदी लगाएं, 16 श्रृंगार कर पूजा करें.
  • करवा चौथ की पूजा में कथा जरुर सुनें और चंद्रमा की पूजा के बाद ही जल ग्रहण करें. गर्भवती महिलाओं को कुछ छूट जरुर है. व्रत पारण में सात्विक भोजन ही करें.
  • इस दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी खा लें, इसमें फल, ड्रायफूट्स का सेवन जरुर करें.
  • करवा चौथ की पूजा के बाद अपनी सुहागिन सास को सोलह श्रृंगार का सामान भेंट कर आशीर्वाद लें. सास न हो तो नंद या जेठानी को भी दे सकते हैं

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में तुंगभद्रा नदी करवा देवी अपने पति के साथ रहती थी. एक बार जब करवा के पति स्नान के लिए नदी में गए तो मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ उसे अंदर खींच लिया. करवा के पति करवा को पुकारने लगे. करवा पति की चीख सुनते ही नदी के पास पहुंचीं. करवा ने एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा की हिल नहीं पाया. करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे.

करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज करवा को बताया कि वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उसके पति की मृत्यु का समय निकल है और मगरमच्छ का आयु शेष है. यम देव के ऐसे वचन सुनकर करवा क्रोधित हो गई और यमराज को श्राप देने की चेतावनी दे डाली. करवा के पतिव्रता धर्म को देकर प्रसन्न हुए. उन्होंने करवा के पति  के प्राण बचा लिए और उसे जीवनदान दिया वहीं मगरमच्छ मृत्यु को प्राप्त हुआ. यही वजह है कि पति की लंबी आयु के लिए इस सुहागिनें व्रत रखकर शिव परिवार, करवा माता की पूजा करती हैं.

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संपादक

फिरोज़ खान हबिब खान

BA in mass communication and journalism Mo. 9730614079

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